बीते बुधवार को संयुक्त राष्ट्र की ओर से गैर बाध्यकारी प्रस्ताव पेश किए जाने के साथ ही ग़ज़ा में युद्ध विराम के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है.
Category : मनोरंजन, Last Updated : 29 Jan 2024 09:42 AM
बीबीसी इंटरनेशनल एडिटर, यरूशलम
ग़ज़ा में मानवीय सहायता पहुंचाने वाले संयुक्त राष्ट्र की मुख्य एजेंसी यूएनआरडब्ल्यूए के प्रमुख फिलिप लाज़ारिनी ने लिखा है, "फ़लस्तीनी लोगों की सुरक्षा की गुहार के बीच न ख़त्म होने वाली और गहराती त्रासदी ने इसे ‘धरती पर नर्क’ बना दिया है."
हमास ने जिन लोगों को बंधक बनाया है, उनके परिवारों के लिए भी यह उतना ही दर्दनाक होगा.
जंग एक क्रूर भट्टी है जिसमें इंसान भयानक यातना से गुजरता है. लेकिन इसका ताप एक ऐसा बदलाव पैदा कर सकता है, जो पहले असंभव-सा लग सकता था.
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान पश्चिमी यूरोप में ऐसा घटित हुआ. सदियों तक एक दूसरे की हत्या करने वाले दुश्मनों ने शांति का रास्ता चुना.
क्या ग़ज़ा की जंग से इसराइली और फ़लस्तीनी लोगों के बीच एक सदी पुराने संघर्ष का अंत होगा, जो कि जॉर्डन नदी और भूमध्य सागर के बीच की ज़मीन के लिए अभी तक जारी है?
मैं एक वीडियो देख रहा था जिसमें एक महिला अपने पति मोहम्मद अबू शार के सामने बैठी शोक मना रही थी.
इसराइल और मिस्र पत्रकारों को ग़ज़ा में घुसने नहीं दे रहे हैं, इसलिए मैं उनसे मिल नहीं सका. मुझे उनका नाम भी नहीं पता चल सका.
वीडियो में ऐसा लगता है कि उस महिला को उम्मीद है कि उनके शोक और दुख की ताक़त शायद उनके पति को वापस लौटा दे.
वो कहती हैं, "हमने साथ मरने का वादा किया था. तुम चले गए और मुझे अकेला छोड़ गये. अब हम क्या करें, या खुदा ? मोहम्मद, उठो! मेरे प्रिय, खुदा के लिए, मैं क़सम खाती हूं, मैं तुम्हें प्यार करती हूं. खुदा के लिए उठो. हमारे बच्चे नूर और अबूद यहां तुम्हारे साथ हैं. उठो."
दोनों बच्चे अपने पिता के साथ थे, क्योंकि इसराइल ने उन तीनों को अभी अभी मार डाला था. रफ़ाह में जिस घर को वे सुरक्षित समझ रहे थे, वो हवाई हमले में ज़मींदोज़ हो गया.